सुमिरन करो आदि भवानी का…
पहला सुमिरन गणपति देवा और ऋद्धि सिद्धि महारानी का
दूसरा सुमिरन शंकर जी का, और गौरा महारानी का
तीसरा सुमिरन विष्णु जी का, और लक्ष्मी महारानी का
चौथा सुमिरन ब्रह्मा जी का, और सरस्वति महारानी का
पांचवा सुमिरन रामचन्द्र का, और सीता महारानी का
छठा सुमिरन कृष्ण चन्द्र का, और राधा महारानी का
सातवां सुमिरन सालिग्राम का, और तुलसा महारानी का
आठवा सुमिरन गुरुदेव का, चरनन की बलिहारी का
गुरु मात पिता, गुरु बंधु सखा, तेरे चरणों में स्वामी मेरे कोटि प्रणाम
१. प्रियताम तुम्हीं, प्राणनाथ तुम्हीं, तेरे चरणों में स्वामी मेरे कोटि प्रणाम
२. तुम्हीं भक्ति हो, तुम्हीं शक्ति हो, तुम्हीं मुक्ति हो, मेरे सांब शिवा
३. तुम्हीं प्रेरणा, तुम्हीं साधना, तुम्हीं आराधना मेरे सांब शिवा
४. तुम्हीं प्रेम हो, तुम्हीं करुणा हो, तुम्हीं मोक्ष हो मेरे सांब शिवा
जित बिठ्लावे तित ही बैठूं, जो पहरावे सोई सोई पहरूं
मेरी उनकी प्रात पुरानी, बेचे तो बिक जाऊं
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविंद, गुरु मेरो प्राणधन, गुरु भगवंत,
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
१. गुरु बिन जीवन अलख अंधेरो, सर्व-पूज्य शरण गुरु तेरो
२. गुरु के दर्शन देख देख जीवां, गुरु के चरण धोय धोय पीवां
३. गुरु मेरा ज्ञान, गुरु मेरा ध्यान, गुरु गोपाल, पूरण भगवान
मेरे गिनियो ना अपराध, लाड़ली श्री राधे
मेरे गिनियो ना अपराध किशोरी श्री राधे
१. जो तुम मेरे अवगुन देखो, तो नाही कोई गुण हिसाब, लाड़ली श्री राधे
२. अष्ट सखी और कोटि गोपिन में, उनकी दासी को दासी मैं, लाड़ली श्री राधे
वहीं लिख लीजो मेरो नाम, लाड़ली श्री राधे
३. माना कि मैं पतित बहुत हूं, हौ पतित पावन तेरो नाम, लाड़ली श्री राधे
किशोरी मेरी श्री राधे, लाड़ली श्री राधे, स्वामिनी श्री राधे
Feeling grateful for the oral traditions of India :) My heritage.
सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी
थे छो म्हारो गुण रो सागर
अवगुण म्हार बिसराजो जी
सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी…
मत जा, मत जा, मत जा जोगी
पांव परूंगी मैं तेरे, जोगी मत जा, मत जा, मत जा
प्रेम भक्ति को * न्यारो, हमको गल बता जा, मत जा, मत जा
अगर चंदन की चिता रचाई, अपने हाथ जला जा,
जोगी मत जा, मत जा, मत जा
* भई भस्म की ढेरी, अपने अंग लगा जा,
जोगी मत जा, मत जा, मत जा
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ज्योति में ज्योत मिला जा,
जोगी मत जा, मत जा, मत जा
श्याम मने चाकर राखो जी,
चाकर रहसूं, बाग लगासूं नित उठ दर्सन पासूं
बृंदाबन की कुंज गलिन में तेरी लीला गासूं
श्याम मने चाकर राखो जी,
चाकरी में दर्सन पाऊं, सुमिरन पाऊं खरची
भाव भक्ति जागीरी पाऊं, तीनों बातां सरसी
श्याम मने चाकर राखो जी,
मोर मुकुट पीतांबर सोहे, गल बैजन्ती माला
बृन्दावन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला
श्याम मने चाकर राखो जी,
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा सदा रहो जी धीरा
आधी रात प्रभु दर्सन दीन्हें प्रेम नदी के तीरा
श्याम मने चाकर राखो जी