होरी खेल रहे हैं गुरुवर, अपने हरि भक्तों के संग,
हरि भक्तों के संग, अपने हरि भक्तों के संग
१. खेल रही हैं होरी, कर कर के हुड़दंग
गुरु हमारे खेलें होरी, करते रहें सत्संग
२. धर्म के कर में हो पिचकारी, भर विवेक का रंग
जिसके हृदय लगे ये निशाना, वह रह जाये दंग
३. ज्ञान गुलाल मलत मुख ऊपर, प्रेम का भर क रंग
पिया है जिसने वही हुआ है सदगुरु के … संग
४. कान्हा खेल रहे हैं होरी राधाजी के संग
सीता के संग रघुवर खेलें, भीजत हैं सब अंग
बरसे बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की,
१. सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनि हरि आवन की
बरसे बदरिया सावन की…
२. नन्हीं नन्हीं बूंद सुहावन लागत, बूंदन की झर लावन की
बरसे बदरिया सावन की
३. दादुर, मोर, पपीहा बोले, कोयल शबद सुनावन की
बरसे बदरिया सावन की
४. मीरा के प्रभु हरि अविनाशी, आनंद मंगल गावन की,
बरसे बदरिया सावन की
Meera Bai sings a song: In the rainy season (Saavan), I am happy and excited. I hear that my Lord is coming. Raindrops looks lovely. Frogs, Papiha bird and cuckoos also voice their happiness in the rainy season. My Lord is the eternal Lord, Hari. This is the time to sing in bliss.
Q: Guruji, it is true that God is present every moment but why do we feel sometimes separation or duality?
Sri Sri Ravi Shankar: That’s a game!
Sri Ram Charitmanas written by Goswami Tulsidas is very much a part of the oral tradition in India. This is a beautiful rendition of the end of Kishkindha Kand and the whole of Sunder Kand by Shri Ashwinkumar Pathak ji. English transcript is also given in the video.
Bhajan Lyrics
ये तो प्रेम की बात है ऊद्धव, बंदगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर दे के होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा
उनकी पूजा में, सुन ले ऐ उद्धव
यहां दम दम में होती है पूजा
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है More...
३२.
ब्रह्म में ढूंढ्यो पुरानन वेदन भैद सुन्यो चित चौगुने चायन।
देख्यो सुन्यो न कहूं कबहूं वह कैसे स्वरूप औ कैसे सुभायन॥
ढूंढत ढूंढत हारि परयो ‘रसखानि’ बतायो न लोग लुगायन।
देख्यो कहां वह कुंज कुटीर में बैठो पलोटन राधिका पायन॥
This sawaiya verse illustrates poet Raskhan’s search for nirgun and sagun Brahman.