गुरु मात पिता, गुरु बंधु सखा, तेरे चरणों में स्वामी मेरे कोटि प्रणाम
१. प्रियताम तुम्हीं, प्राणनाथ तुम्हीं, तेरे चरणों में स्वामी मेरे कोटि प्रणाम
२. तुम्हीं भक्ति हो, तुम्हीं शक्ति हो, तुम्हीं मुक्ति हो, मेरे सांब शिवा
३. तुम्हीं प्रेरणा, तुम्हीं साधना, तुम्हीं आराधना मेरे सांब शिवा
४. तुम्हीं प्रेम हो, तुम्हीं करुणा हो, तुम्हीं मोक्ष हो मेरे सांब शिवा
जित बिठ्लावे तित ही बैठूं, जो पहरावे सोई सोई पहरूं
मेरी उनकी प्रात पुरानी, बेचे तो बिक जाऊं
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविंद, गुरु मेरो प्राणधन, गुरु भगवंत,
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
१. गुरु बिन जीवन अलख अंधेरो, सर्व-पूज्य शरण गुरु तेरो
२. गुरु के दर्शन देख देख जीवां, गुरु के चरण धोय धोय पीवां
३. गुरु मेरा ज्ञान, गुरु मेरा ध्यान, गुरु गोपाल, पूरण भगवान
होरी खेल रहे हैं गुरुवर, अपने हरि भक्तों के संग,
हरि भक्तों के संग, अपने हरि भक्तों के संग
१. खेल रही हैं होरी, कर कर के हुड़दंग
गुरु हमारे खेलें होरी, करते रहें सत्संग
२. धर्म के कर में हो पिचकारी, भर विवेक का रंग
जिसके हृदय लगे ये निशाना, वह रह जाये दंग
३. ज्ञान गुलाल मलत मुख ऊपर, प्रेम का भर क रंग
पिया है जिसने वही हुआ है सदगुरु के … संग
४. कान्हा खेल रहे हैं होरी राधाजी के संग
सीता के संग रघुवर खेलें, भीजत हैं सब अंग
मेरे गुरु महाराज खिलावे होली
१. शब्द गुलाल भाव को रंग दे, मेहर कुमकुमा मारो रे
२. बाजत ताल मृदंग झांझ ढप, शब्दन माल लुटायो रे
३. ब्रह्म स्वरूप गुरुजी मिल गये, चाह नहीं भव तरनन की
४. पावन पुष्प एकादशी रंग है, अब ये दान मोहे दीजो रे
My master is celebrating the festival of colours, Holi. Grace, knowledge, bhakti, words and feelings are the colours.
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
वस्तु अमौलिक दी मेरे सतगुरु, किरपा करि अपनायो
पायो जी मैने…
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो
पायो जी मैने…
खर्च ना खूटे वाको चोर ना लूटे, दिन दिन बढ़त सवायो
पायो जी मैने…
सत की नांव, खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो
पायो जी मैने…
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख हरख जस गायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
Saint Meera Bai says: My Guru has given me the most invaluable treasure. God belongs to me, and I laugh and sing God’s praise.
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुर्देव परंब्रह्मः तस्मै श्री गुरवे नमः।
अज्ञानतिमिरांधस्य ज्ञानांजनशलाकया चक्षुरौन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं तदपदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।
अनेकजन्म संप्राप्तं कर्मबन्ध विदाहिने आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः।
मन्नाथः श्री जगन्नाथा मदगुरु श्री जगदगुरु मदात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः।
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वम्स्यादिलक्ष्यम् ।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधी साक्षीभूतं
भावातीतं त्रिगुणसहितं सदगुरुं तं नमामि॥
In praise of the spiritual master.