This time let Diwali see a NEW You! Celebrate Diwali in a new way. I hope this poem touches a chord in your heart! इस दिवाली पर कुछ नया कर जाएँ - एक कविता
Wish you and your loved ones an awesome Diwali !
Written and recited by : Shailendra Rana (https://www.linkedin.com/in/shailendrarana/)
Editing by: Aditi Rana (https://www.facebook.com/GopalandFriends/)
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले, जरा हल्के गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले
या गाड़ी म्हारी रंग रंगीली, पहिया लाल गुलाल
फागुन वालो छैल छबीलो और बैठन वाले दाम
जरा हल्के गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले
देस देस का वैद बुलाया, लाया जड़ी और बूटी
जड़ी़ और बूटी कुछ काम ना आई, जब राम के घर टूटी
चार कहार मिलि उठायो, दुई काठ की जोड़ी
लई जा मरघट पे रख दई और फूंक दीए जस होली
जरा हल्के गाड़ी हांको मोरे राम गाड़ीवाले
The poem is written by Saint Kabir who was born in Varanasi.
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब हुइहैं पिया से मिलनवा
चढ़इल चैत चित लागे न बाबा के भवनवा
Chaiti is a folk genre in Indian music from Uttar Pradesh, Bihar.
A Kajari song from Mirzapur by Malini Awasthi. It is sung in the rainy season, especially on Kajali Teej festival at Vindhyavasini Devi temple, Mirzapur, Uttar Pradesh, India.
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
घन उमड़ घुमड़ के छाये, उत कजारे घन छाये रे रामा
अरे रामा झींगुर की छनकारि, पिया को लागे प्यारी रे हारी
झूला पड़ा कदम की डारि, झूलें ब्रिज के नर नारि
अरे रामा पेंग बढ़ावे राधा प्यारी, पिया को लागे प्यारी रे हारी
अरे रामा सावन मा घनघोर बदरिया छाई रे हारी
बदरिया छाई रे हारी
बाबा निमिया के पेड़ जिनि काटियो रे, निमिया पे चिरैया के बसेरे,
बलैंया लेहुं भैया के
बाबा सगरी चिरैया उड़ि जैहे
रहि जइ निमिया अकेलि
बलैया लेहुं भैया के
बाबा सगरी बिटिया घरि चले जइहे
माई रहि जाये अकेलि
बलैया लेहुं भैया की
राधा कृष्ण की दासिनी, कृष्ण राधा को दास
जनम प्रभु सभी को दीजिये वृन्दावन को वास
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
दिन नहीं चैन, रैन नहीं निंदिया
सुन तोरी मुरलिया, मैं मर जाउंगी
श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी
अईले कन्हैया, रे अईले कन्हैया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
देवकी ने जाये लाल, जशोदा ने पाये
सोये पहराउ लेके वसुदेव आये
जसोदा से नेग खातिर झगरे नौनिया
नंद बाबा घर अईले कन्हैया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा
मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया
जाओ जाओ भैया रे बटोही हिंद देखि आओ
जहां ऋषि चारो वेद गावे रे
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा
मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया
गंगा के, जमुना के जगमग पनिया रे
सरजू झमकि लहि जावे रे
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा रे
मोरे बाप दादा की कहानी रे, बटोहिया