हरा रंग डारो, गुलाबी रंग डारो, बसंती बचा के
१. तुम तो कान्हा बड़े नटखट हो, मेरा गजरा बचा के, मेरी बिंदिया बचा के
हरा रंग डारो…
२. तुम तो कान्हा कहा नहीं मानो, मेरी चूड़ियां बचा के, मेरी मेंहदी बचा के
हरा रंग डारो…
३. तुम तो कान्हा बड़े रंग रसिया, मेरा हरवा बचा के, मेरी चुनरी बचा के
हरा रंग डारो…
४. तुम तो कान्हा बड़े हरजाई, मेरी पायल बचा के, मेरा बिछुआ बचा के
हरा रंग डारो
होरी खेल रहे हैं गुरुवर, अपने हरि भक्तों के संग,
हरि भक्तों के संग, अपने हरि भक्तों के संग
१. खेल रही हैं होरी, कर कर के हुड़दंग
गुरु हमारे खेलें होरी, करते रहें सत्संग
२. धर्म के कर में हो पिचकारी, भर विवेक का रंग
जिसके हृदय लगे ये निशाना, वह रह जाये दंग
३. ज्ञान गुलाल मलत मुख ऊपर, प्रेम का भर क रंग
पिया है जिसने वही हुआ है सदगुरु के … संग
४. कान्हा खेल रहे हैं होरी राधाजी के संग
सीता के संग रघुवर खेलें, भीजत हैं सब अंग
मत मारो नैनन की चोट, रसिया…
होरी में मोहे लग जायेगी
१. मैं तो नारि पराये घर की, पराये घर की, पराये घर की
तुम तो बड़े वो हो, हो रसिया, होरी में मोहे लग जायेगी
२. अब की बार बचाय गयी मैं, बचाय गयी मैं, बचाय गयी मैं
कर घंघटे की ओट, रसिया, होरी में मोहे लग जायेगी
३. मैं तो भरी लाज की मारी, लाज की मारी, हां लाज की मारी
तुम हो बड़े चितचोर, रसिया, होरी में मोहे लग जायेगी
४. रसिक गोवंद वहीं जाय खेलो, वहीं जाय खेलो, वहीं जाय खेलो
जहां तुम्हारी जोड़, रसिया, होरी में मोहे लग जायेगी
Playful Govind, go and play with your equal (Radha).
मेरे गुरु महाराज खिलावे होली
१. शब्द गुलाल भाव को रंग दे, मेहर कुमकुमा मारो रे
२. बाजत ताल मृदंग झांझ ढप, शब्दन माल लुटायो रे
३. ब्रह्म स्वरूप गुरुजी मिल गये, चाह नहीं भव तरनन की
४. पावन पुष्प एकादशी रंग है, अब ये दान मोहे दीजो रे
My master is celebrating the festival of colours, Holi. Grace, knowledge, bhakti, words and feelings are the colours.
रंग मैं होरी कैसे खेलूंगी जा सांवरिया के संग
कोरे कोरे कलस मंगाये, वा मे घोला रंग, भर पिचकारी सम्मुख मारी, चोली हो गई तंग
रंग मैं होरी कैसे…
तबला बाजे, सरंगी बाजे, और बाजे मिरदंग, कान्हा जी की मुरली बाजे, राधा जी के संग
रंग मैं होरी कैसे…
इत ते आई राधा प्यारी सब सखियन के संग, उत ते आये कुंवर कन्हाई ग्वाल बाल के संग
रंग मैं होरी कैसे…
अबीर उड़त, गुलाल उड़त, उड़ते सातों रंग, भर पिचकारी सम्मुख मारी, भीज गयो सब अंग
रंग मैं होरी कैसे…
बरसाने से रंग मंगाया, नंदगांव से भंग, सांवरिया संग ऐसी नाची देखत रह गये दंग
रंग मैं होरी कैसे…
उत मत जा, ठाड़ो मुकुटवारो उत मत जा…
द्वारपाल सब सखा साथ में, घूम रह्यो मतवारो रे, उत मत जा…
अबीर-गुलाल के बादल छाये, उड़ रह्यो रंग टेसुवा रे, उत मत जा…
जाइत रोकत ताके नवेली, तक पिचकारी श्याम मारी, उत मत जा…
मैके गई सौभाग्यवती रे, रमण पिया मोहे रंग डारो, उत मत जा…
This song depicts a scene from the festival of Holi in Vrindavan, India:
There are clouds of colours all around. Krishna is playing Holi very enthusiastically, colouring anyone who comes his way! He looks out for the gopis and sprays them with colour. A Gopi is a master of the path of devotion, according to Narad Bhakti Sutra and other scriptures.
मोरी चुनरी मे लग गयो दाग री, कैसो चटक रंग डारो, श्याम…
औरन को अचरा ना छुअत है, या को मोही सो लग रही लाग री,
कैसो चटक रंग डारो, श्याम…
मोसो कहत, ओ सुंदर नारी, यो तो मोही से खेलो फाग री,
कैसो चटक रंग डारो, श्याम…
बलि बलि दास, आस ब्रज छोड़ो, ऐसी होरी में लग जाये आग री,
कैसो चटक रंग डारो, श्याम…
मेरी चुनरिया ऐसी कोरी, वा रसिया ने रंग में बोरी,
कैसे छूटोगो वाको दाग़ री, कैसे चटक डारो, श्याम…
चन्द्रसखी भज बालकृष्ण छवि, बड़े भाग सो फागुन आयो री,
कैसो चटक रंग डारो, श्याम…
मोरी चुनरी में लग गयो दाग़ री, कैसो चटक रंग डारो, श्याम…