सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी
थे छो म्हारो गुण रो सागर
अवगुण म्हार बिसराजो जी
सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी…
मत जा, मत जा, मत जा जोगी
पांव परूंगी मैं तेरे, जोगी मत जा, मत जा, मत जा
प्रेम भक्ति को * न्यारो, हमको गल बता जा, मत जा, मत जा
अगर चंदन की चिता रचाई, अपने हाथ जला जा,
जोगी मत जा, मत जा, मत जा
* भई भस्म की ढेरी, अपने अंग लगा जा,
जोगी मत जा, मत जा, मत जा
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ज्योति में ज्योत मिला जा,
जोगी मत जा, मत जा, मत जा
श्याम मने चाकर राखो जी,
चाकर रहसूं, बाग लगासूं नित उठ दर्सन पासूं
बृंदाबन की कुंज गलिन में तेरी लीला गासूं
श्याम मने चाकर राखो जी,
चाकरी में दर्सन पाऊं, सुमिरन पाऊं खरची
भाव भक्ति जागीरी पाऊं, तीनों बातां सरसी
श्याम मने चाकर राखो जी,
मोर मुकुट पीतांबर सोहे, गल बैजन्ती माला
बृन्दावन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला
श्याम मने चाकर राखो जी,
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा सदा रहो जी धीरा
आधी रात प्रभु दर्सन दीन्हें प्रेम नदी के तीरा
श्याम मने चाकर राखो जी
Meera Bai bhajan lyrics
बाला मैं बैरागन होऊंगी
जिन भेषां मेरा साहब रीझे, सो ही भेष धरूंगी
बाला, मै बैरागन होऊंगी
कहो तो कुसुमल साड़ी रंगावा, कहो तो भगवा भेस
कहो तो मोतियां मांग भरावां, कहो छिटकावां केस
बाला, मैं बैरागन होऊंगी
प्राण हमारा वहां बसत है, यहां तो खाली खोल
मात पिता परिवार सूं कहिअ तिनका तोड़
बाला, मैं बैरागन होऊंगी
जिन भेषां मेरा साहब रीझे, सो ही भेष धरूंगी
बाला मैं बैरागन होऊंगी
बरसे बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की,
१. सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनि हरि आवन की
बरसे बदरिया सावन की…
२. नन्हीं नन्हीं बूंद सुहावन लागत, बूंदन की झर लावन की
बरसे बदरिया सावन की
३. दादुर, मोर, पपीहा बोले, कोयल शबद सुनावन की
बरसे बदरिया सावन की
४. मीरा के प्रभु हरि अविनाशी, आनंद मंगल गावन की,
बरसे बदरिया सावन की
Meera Bai sings a song: In the rainy season (Saavan), I am happy and excited. I hear that my Lord is coming. Raindrops looks lovely. Frogs, Papiha bird and cuckoos also voice their happiness in the rainy season. My Lord is the eternal Lord, Hari. This is the time to sing in bliss.
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को,
सखी सी मोहे लागे वृन्दावन नीको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
रतन सिंहासन आप विराजे, मुकुट धरे तुलसी को
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, शब्द सुनत मुरली को
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको
In this bhajan, Meera Bai sings and tells her friends that she loves Vrindavan. The clear waters of Yamuna flow through Vrindavan. There is an abundance of milk and ghee for food. Krishna is sitting on an ornate chair with a crown of tulsi (Holy Basil) leaves on his forehead. Radhika is going from one garden to another in search of Krishna. Meera says that there is no enjoyment in a human life like the one that is in devotion.
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
वस्तु अमौलिक दी मेरे सतगुरु, किरपा करि अपनायो
पायो जी मैने…
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो
पायो जी मैने…
खर्च ना खूटे वाको चोर ना लूटे, दिन दिन बढ़त सवायो
पायो जी मैने…
सत की नांव, खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो
पायो जी मैने…
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख हरख जस गायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
Saint Meera Bai says: My Guru has given me the most invaluable treasure. God belongs to me, and I laugh and sing God’s praise.